Wednesday, 3 January 2024

बुर्ज सपने

 मूल कविता : शरण गुरुङ (शरण मुस्कान)

नेपाली से रुपान्तर : सञ्जीव छेत्री

 

हारना अच्छी बात नहीं

तुम कभी हारना मत |

पिताजी से सुनता आया हूँ बचपन से

और एक आश्चर्य की बात

सब से पहले

खुद उन्ही से सिखा है मैंने

हारना

और हारकर जीना |

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घास-फुस के कच्चे घर में भी

हमेशा हंसते खिलखिलाते रहे

पिताजी के बहुत सारे सपनें |

पिताजी ने तोड़े है

बड़े से बड़े चट्टानों को अपने हाथों से

या फिर उनके पसीने का कमाल था|

फिर भी पिताजी टुटे नहीं कभी

न वे टूटे न बिखरे कभी|

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बचपन में पिताजी मुझे

रबर्ट ब्रुस की कहानी पढ़ाया करते थे

लेकिन वे कभी न बन पाए

उस कहानी के नायक |

साहुकार के कर्ज के विरुद्ध

कभी को लड़ा नहीं जीत पाया

उनका परिश्रम |

बल्कि वही शीतयुद्ध अड़ गया

बन उनकी बिमारी का कारण |

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उनकी हथेलियों के छालों के नींव पर

साहुकार के बड़े से बड़े भवन खड़े हुये

गावं में लहलहाया भाषण का खेत

सरकारी योजनाओं से सड़कें  बनी

गावं का रुप बदल गया |

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मेरे पिताजी ने पसीना बोया

और गावं खिल उठा |

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परन्तु उसी गावं में

पिताजी उपेक्षित रह गए

वहीं उनकी किस्मत रूठ गई

वे किसी से पहचाने न गए |

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और गौरतलब तो यह है कि

- पिताजी अब दादा बन गए है

और मैं पिताजी |

बुर्ज सपने

  मूल कविता : शरण गुरुङ (शरण मुस्कान) नेपाली से रुपान्तर : सञ्जीव छेत्री   हारना अच्छी बात नहीं तुम कभी हारना मत | पिताजी से सुनता...